मुद्रास्फीति की दर किसानों को आत्महत्या करने केलिये मजबूर कर रहा हैं। जबतक मुद्रास्फीति की दर (Inflation) को काबू में नहीं लायेगा तबतक किसानों को जीना मुश्किल हैं। 14.3 % खाद्य वस्तुओं की हिसाब WPI में शामिल हैं। लेकिन पब्लिक डिस्ट्रिब्यूषन सिस्टम, सबसिडी, और सकरारी योजनायें किसानों को लूटकर उपभोक्ता को मदद करनेवाला हैं। 65% निर्मित वस्तुओं के दाम निर्माताओं ने मुनाफे के साथ निर्णय करते हैं। किसानों के उतपन्न के दाम निर्णय लेने की हक किसानों के हाथ में नहीं हैं। बाजारी दाम के निर्णय व्यापारी के हाथ में होगा। इन्फ्लेषन के नाम जो डी.ए बडेगा 100% WPI के अनुसार होगा। मतलब यह हैं मजदूर तक उसकी भायदा गोगा। कीसानों को कुच्छ नहीं मिलेगा। उदा. 1985 में एक पुरुष मजदूर को 20 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलता था और 2014 में 700 रुपये मिलता हैं। 35 रुणा मजगूरी बडा तो खाद्य वस्तुओं के दाम चार गुणा से कम ही बडा। अगर यही हल रहा तो भविष्य में खेती करनेवाला कोई नहीं होगा। हर दिन खेती को झोडनेवाले किसानों की संख्या बड रहा हैं।
भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को तीन समूह करके विभजित है।
१. प्राथमिक वस्तुएं ( कुल वजन का 20.1 प्रतिशत ), प्राथमिक वस्तुओं की खाते में खाद्य वस्तु कुल वजन के 14.3 प्रतिशत हैं।
खाद्य वस्तू के उतपादन कियानों के मेहनत से पैदा होता हैं और इसके मूल्य का निर्णय लेने का हक किसानों के हाथ में नहीं हैं। पब्लिक डिस्ट्रिब्यूषन सिस्टम (PDS), करकारी योजनायें सब मिलकर खाद्य वस्तुओं की मूल्य नीचे गिराने की कोशिश करते हैं। अगर किसानों के पैदावार ज्यादा हो गया तो खरीदने वाला नहीं होगा। मुद्रास्फीति की दर में 14.3 % खाद्य वस्तुओं की हिसाब WPI में शामिल हैं। लेकिन मुद्रास्फीति की दर 100% की हिसाब से सरकारी कर्मचारी और पेन्षणर की डी.ए (DA) बडेगा। 30 साल में 35 से ज्यादा बडा। उसका असर खेत में काम करनेवाला मजदूर तक मिला।1985 में एक पुरुष मजदूर को केरल में 20 रुपये मिलता तो अब 700 रुपये मिलेगा। मगर किसी भी खाद्य वस्तू की मूल्य चार गुणा से ज्यादा नहीं बडा। भविष्य में यही हाल रहा तो किसानों को आत्महत्या के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा.
२. ईंधन और बिजली ( 14.9 प्रतिशत )
ईंधन और बिजली की मूल्य बडाने की हक राज्य और देशीय सरकार पर निर्भर हैं। इनके मूल्य बडने पर किसानों की नुक्सान और अन्य को फायदा होगा।
३. विनिर्मित उत्पाद (65 प्रतिशत ) . विनिर्मित उत्पाद समूह का सबसे महत्वपूर्ण घटकों रसायन और रासायनिक उत्पादों ( कुल वजन का 12 प्रतिशत ) हैं ; मूल धातु, मिश्र धातु और धातु उत्पाद ( 10.8 प्रतिशत ); मशीनरी और मशीन उपकरण (8.9 प्रतिशत ); कपड़ा (7.3 प्रतिशत ) और परिवहन , उपकरण और कलपुर्जे ( 5.2 प्रतिशत ) .
इनके मूल्य का निर्णय विनिर्मित उत्पाद करनेवाले व्यवसाय के मालिक के हाथ में होगा। मुद्रास्फीति की दर प्रसारित करते समय इन विनिर्मित उत्पाद को शामिल नहीं करना चाहिये। क्यों की किसानों को भी यस चीजें खरीदना पडता हैं।
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